मानो म्हारी बात द्वारका थे जाओ।
बोले नारी सुणो पियाजी , मानो म्हारी बात द्वारका थे जाओ।
थे जाओ पिया थे जाओ पूरी द्वारका थे जाओ।।
माल उधारो मिले नहीं पिव,
मुश्किल दाणे दाणे की।
मुश्किल दाणे दाणे की।
दोय वक्त में एक वक्त बिध लाग थारे खावण की
मीठी निकले भूख पिया थारा दुर्बल हो गया गात द्वारका थे जाओ.......
आन गरीबी आ घेरी बरतण ना फूटी कौड़ी
तन का वस्त्र फाट गया पिव,फाटेडि चादर ओढ़ी
सियाँ मरता फिरो रात दिन दे काख्यां म हाथ
द्वारका थे जाओ......
जाकर भेंट करो प्रभु से मन में काई आँट करो
अपने दिल की बात प्रभु से कहता काई आँट करो
सारी बातां सामर्थ है म्हारो देवर है ब्रजनाथ
द्वारका थे जाओ......
"मोहन"कहे मत भूल प्रभु ने याद करो दो च्यार घडी
लखे चौरासी फिर आयी या चोपड़ गन्दे स्यार पड़ी
"मोहन"कहे या रीत प्रभु की दे दुर्बल न साथ
द्वारका थे जाओ.......
बोल भक्त और भगवान की जय
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