प्रीत पराई


प्रीत पराई

ग्वालिड़ा तू कोनी जाने प्रीत परायी
प्रीत परायी रे प्रीत परायी

बेठ कदम पर साँवरो बंसी बजायी जी
(रे मेवाड़ी राणा रे) सब गाय न घिर आयी

चोर चोर दही माखन खायो जी
(रे मेवाड़ी राणा रे) ब्रज की नार डराई

जनमत ही कुल त्यारण कहियो जी
(रे मेवाड़ी राणा रे) मात-पिता , गुरु भाई

राजा माधोसिंह जी रा कुवर प्रताप सिंघजी
(रे मेवाड़ी राणा रे)सब मिल सोरठ गाई

जय श्रीनाथजीकी

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