म्हारा सतगुरु दीन्ही बताय



म्हारा सतगुरु दीन्ही बताय 
म्हारा सतगुरु दीन्ही बताय
दलाली हिरा लालन की
लाल पड़ी चोगान म रे रही कीच लिपटाय
नुगरा ठोकर दे चल्या रे सुगरा न लेई है उठाय
लाल लाल तो सभी कव रे सब के पल्ले लाल
गांठ खोल देखी नहीं रे किस विध भयो कंगाल

मखियाँ बैठी शहद पर रे रही पंख लिपटाय
उड़ने का सांसा भया रे लालच बुरी है बलाय

इधर से अंधा जावता रे उधर से अंधा आय
अंधे को अंधा मिला रे मारग कौन बताय

लाली लाली सभी केवे रे लाली लखी न कोय
लाली लखीयो दास कबीरो आवागमन ना होय

जय श्री नाथ जी की

http://allmusicinoneplace.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment