जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की

 जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की
जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की
भजले मनवा शाम सवेरे एक माला हरी नाम की
ये संसार कागज की पुड़िया बूंद पड्या गल जाएगी
तेरी मेरी छोड़ बावले धुन तो लगा हरी नाम की
नैन दिए दर्शन करने को कान दिए सुण ज्ञान रे
जीभ देयी हरी गुण गाने को बोलो सियावर राम की

"पवन" गणिका.गिद्ध.अजामिल तर गये हरी नाम से
ध्रुव तारे प्रलाद उबारे जय हो कृपा निधान की

बोल भक्त और भगवान की जय
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