दीन बंधू दीनानाथ मोरी सुध लीजिये


दीन बंधू दीनानाथ मोरी सुध लीजिये 

दीन बंधू दीनानाथ मोरी सुध लीजिये
दीन के दयाल दाता मोपे दया कीजिये

खेती नहीं बाडी नहीं बिणज व्यापार नहीं
ऐसो कोई सेठ नहीं जासे कछु लीजिये

भाई नहीं बन्धु नाही कुटुंब कबीलों नाही
ऐसो कोई मित्र नाही जासे कछु लीजिये

सोने को सुनयो नाही रुपे को रुप्यो नाही
कोडी पैसा पास नाही कहो केसे कीजिये

कहता है मलुकदास छोड़ दे बिरानी आस
सांचो नाम तेरो दाता और किसको लीजिये

बोलो दीनबंधु दीनानाथ की जय

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